CHASING THE FOOTPRINTS OF BHAGWAN RAMA : CHITRAKOOT PART TWO



 न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं 
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं 

हेल्लो दोस्तों,

इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करिये । 

 चित्रकूट ट्रिप का ये दूसरा ब्लॉग पहले ब्लॉग में हमने आपको बताया था की कैसे चित्रकूट जाते- जाते हम विंध्याचल घूमने चले गए थे। तो आइये अब चित्रकूट का वर्णन करते हैं।


चित्रकूट का मतलब है " Hill of Many Wonders " और मजेदार बात ये है कि यह एक ऐसी जगह है जो उत्तर प्रदेश में भी आती है और मध्य प्रदेश में भी। उत्तर प्रदेश का जो जिला मुख्यालय कर्वी में है और मध्य प्रदेश का जो हिस्सा है वो सतना जिले में आता है। ये तो इसका भौगौलिक मामला हुआ और अब आ जाते हैं इसके धार्मिक महत्व पर। भगवान श्री राम ने अपने 14 वर्षों के वनवास में कुछ समय यहां सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ गुजारा था। यही वो पावन भूमि है जहां अत्रि मुनि , सती अनुसुइया , दत्तात्रेय , महर्षि मार्कण्डेश्वर , महर्षि वाल्मीकि ने तपस्या की। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध किया था तब सभी देवी -देवता चित्रकूट की पावन धरती पर उपस्थित हुए थे।


सुबह- सुबह हम फ्रेश हो के कमर कस लिए। प्लान ऐसा था की आज चित्रकूट पूरा घूम लेना है। तो यही उम्मीद लिए हम ने शारिंग ऑटो बुक किया,पूरे दिन के लिए। उसने कुछ 300 रुपए लिया पूरा घूमने का।

सबसे पहले हम राम घाट गए। राम घाट वह घाट है जहाँ प्रभु राम नित्य स्नान किया करते थे l इसी घाट पर राम भरत मिलाप मंदिर है और इसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा भी है l मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट में अनेक धार्मिक क्रियाकलाप चलते रहते हैं। घाट में गेरूआ वस्त्र धारण किए साधु-सन्तों को भजन और कीर्तन करते देख बहुत अच्छा महसूस होता है। शाम को होने वाली यहां की आरती मन को काफी सुकून पहुंचाती है। सुबह दर्शन करने के बाद हम शाम को यहा फिर आए थे आरती देेेेेखने। यहां का एक्सपीरियंस थोड़ा खराब था। क्युकी पानी बहुत गन्दा था। हमारे दो मित्र ने तो माना कर दिया वैसे मन तो मुझे भी नहीं था पर लालवा को अकेले डर लगता है पानी से तो  मैंने भी नहा लिया। दोस्ती यारी में तो करना ही पड़ता ऐसा आपको सबको तो  पता ही होगा।


इसके बाद हम जानकी कुंड गए।जानकी कुण्ड से कुछ किलोमीटर आगे ही स्फटिक शिला है। स्फटिक शिला एक पत्थर है जिस पर भगवान राम के पैर का निशान बना है ।

स्फ़शिला के आसपास कुछ मंदिर भी हैं , बहुत सुन्दर तो नहीं हैं लेकिन पुराने हैं तो देखने का मन करता ही है। अच्छी बात लगी कि आसपास ही गाय और बंदरों को खिलाने के लिए उनका भी प्रसाद बिक रहा था , और बेचने वाले भी प्रसन्न लग रहे थे। यहां मुझे अपने यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का एक स्टेटमेंट याद आता है कि टूरिज्म एक ऐसी इंडस्ट्री है जो गरीब से लेकर अमीर तक और चाय वाले से लेकर फाइव स्टार होटल वाले तक को कमाने का अवसर प्रदान करती है। 

फिर हम लोग और आगे बढ़े स्फटिक शिला से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर घने वनों से घिरा यह एकान्त आश्रम स्थित है। इस आश्रम में अत्रि मुनी, अनुसुइया, दत्तात्रेय और दुर्वासा मुनि की प्रतिमा स्थापित हैं।माता अनसुइया के मंदिर के सामने ही मंदाकिनी नदी बहती है।

मंदाकिनी नदी के किनारे बने इस मंदिर की शोभा अविस्मरणीय है । जानकी कुण्ड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार ही यह शिला स्थित है। माना जाता है कि इस शिला पर माता सीता के पैरों के निशान मुद्रित हैं। कहा जाता है कि जब वह इस शिला पर खड़ी थीं तो जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी। इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुन्दरता निहारते थे।

मैं इस किनारे था लेकिन दूसरा किनारा बहुत सुन्दर लग रहा था , जाने का मन था लेकिन न तो आसपास कोई पुल दिखा और कहीं दूर जाकर पुल ढूंढने का समय नहीं था। ये एक ऐसी जगह है जहां बैठे - बैठे आप घण्टों वक्त गुजार सकते हैं , लेकिन अपने साथ समय की समस्या थी तो चल दिए  हम हनुमान धारा के तरफ। वैसे पिकनिक मनाने के नजरिए से मंदाकिनी नदी  एक  उत्तम  जगह है।  यहां हमने सबसे ज्यादा टाइम  व्यतीत किया।

हनुमान धारा पहुंचते हमने देखा की सामने बहुत सारी सीढ़ियां दिखाई दे रही हैं। फिर उसे देखते हम चारो ने एक दूसरे को देखा 🙄आप ये बिकुल मत सोचना की हमने एक दूसरे को हौसला दिया ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ था।😔 फिर मैंने बोला यारो अभी कोल्ड ड्रिंक और ब्रेड पकोड़ों पर कंसर्ट्रेट करते हैं। अहाहा...  आनंद आ गया और आनंद के साथ -साथ डकार भी चली आई😀 । हरिओम !! श्री राधे !!

अब चलते हैं आगे ! मैं तो खैर सीढ़ियां ही चढ़कर गया वो भी बहुत मुश्किलो से लेकिन अगर किसी को ऊपर जाने में परेशानी होती है , सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत होती है तो यहीं नीचे ही , जहां से सीढ़ियां शुरू होती हैं वहां कहार (porter ) भी मिल जाते हैं और ले जाने के लिए टोकरी भी। 

तो बड़े -बुजुर्गों को भी वहां तक पहुँचने में कोई दिक्कत नहीं ! कहते हैं चित्रकूट में आज भी हनुमान जी वास करते हैं जहां भक्तों को दैहिक और भौतिक ताप से मुक्ति मिलती है। कारण यह है कि यहीं पर भगवान राम की कृपा से हनुमान जी को उस ताप से मुक्ति मिली थी जो लंका दहन के बाद हनुमान जी को कष्ट दे रहा था।




इस विषय में एक रोचक कथा है कि, हनुमान जी ने प्रभु राम से कहा, लंका जलाने के के बाद शरीर में तीव्र अग्नि बहुत कष्ट दे रही है। तब श्रीराम ने मुस्कराते हुए कहा कि-चिंता मत करो। चित्रकूट पर्वत पर जाओ। वहां अमृत तुल्य शीतल जलधारा बहती है। उसी से कष्ट दूर होगा। ये वही हनुमान धारा है।

अब हमारा अगला पड़ाव था गुप्त गोदावरी । गुप्त गोदावरी का वर्णन हम अपने नेक्स्ट ब्लॉग में करेगे।

पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।

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