CHASING THE FOOTPRINTS OF BHAGWAN RAMA : CHITRAKOOT PART Three
अपने चित्रकूट के सफर पर ये पक्तिया बिलकुल सही बैठी है। सलाम, नमस्ते, केम छू दोस्तो। कैसे हो आप लोग ? चित्रकूधाम का ये तीसरा ब्लॉग हैं । पार्ट-1 और पार्ट-2 के लिए वन और टू पर क्लिक करें।
चित्रकूट के घाट पर भई संतान की भीर।
तुलसीदास चंदन घिसे तिलक करे रघुबीर।।
नगर से 18 किलोमीटर की दूरी पर गुप्त गोदावरी स्थित हैं। यह जगह अचंभो से भरा पड़ा है। यहां दो गुफाएं हैं जिनमे एक गुफा चौड़ी और ऊंची है, जिसके अंत में एक छोटा तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है। दूसरी गुफा लंबी और संकरी है जिससे हमेशा पानी बहता रहता है। दूसरी गुफा देख कर मुझे देहरादून के रॉबर्स केव याद आ गया क्युकी वो बिलकुल वैसा ही दिख रहा था। यहां हमने बहुत मस्ती की।
अब आते हैं इसके इतिहास पर , इन दोनों गुफाओं में से दो जल-धाराएं फूटती हैं जिनमे से ऊपर की गुफा का जल एक कुंड में गिरता है उसे सीता कुंड कहते हैं। दूसरी गुफा कुछ नीचे है, इस गुफा में एक जलधारा प्रवाहित होती है। गुफा संकरी होती हुई बंद हो जाती है। जहां गुफा बंद होती है वहीं से पानी आता है और कुछ दूर बहने के बाद वह जलधारा एक पीपल के वृक्ष के पास पहुंचकर गुप्त हो जाती है और फिर त्रम्बकेश्वर (नासिक) में निकलती है , इसलिए इसे गुप्तगोदावरी के नाम से पुकारा जाता है।पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम और लक्ष्मण अपने वनवास के दौरान कुछ समय के लिए यहाँ रहे थे।
और हां दोस्तों यहां पर एंट्री फीस भी लगती हैं 10/5 रु. क्रमश: वयस्क/बच्चे के लिए।
यहां से निकलने बाद हमने एक जगह बैठा और विचार किया बहुत हुआ धाम अब थोड़ा मस्ती हो जाएं तो हमने गूगल बाबा की मदत ली आस पास के लोक्शन के बारे में जाना । तब हम लोगो को चचाई जलप्रपात और पुरवा जलप्रपात के बारे में पता चला कि ये भारत का 23वा सबसे बड़ा जलप्रपात है।
तो फिर क्या घुमक्कड़ जिज्ञासा जगने लगी और हम निकल लिए रीवा के लिए।
नेक्स्ट ब्लॉग में इनके बारे में पढ़े.......
पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।
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