COVID-19 Journey Part One - Alwar to Delhi

सलाम, नमस्ते जी, केम छो दोस्तों 🙏, तो कैसे हो आप सब??

ब्लॉग शुरू करने से पहले मैं उस टॉपिक पर बात करना चाहूंगा जिस के बारे में पूरा हिंदुस्तान बात कर रहा है "सुशांत सिंह राजपूत" की मौत का। मुझे तो ये विश्वास ही नहीं हो रहा है कि वो अपने बीच  नहीं रहे और उन्होंने ऐसा क्यों किया ? वजह जो भी हो पर सच्चाई यही है कि वो अपने बीच नहीं रहे और भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और उनके घर वालों को हिम्मत। मैं आप लोगों से एक विनती   करूंगा कि अपने असफल होने पर उससे डील करिए ना कि कोई ग़लत कदम उठाइए ज़िन्दगी एक ही  उसका एक एक पल एंजॉय  करिये।

हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये,
ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये,
एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे,
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये।


अब आते हैं अपनी यात्रा पर तीन महीना अलवर सिटी में रहने के बाद हमने फ़ैसला किया की घर चलते हैं ।क्योंकि अतिथि बन के आए थे दो महीना के लिए चार महीना से पड़े हुए हैं यही पर 🥴कहीं अतिथि तुम कब जाओगे वाला हाल ना हो जाएं हमारा🤭 जोक सपाट अलवर में जीतना प्यार मिला है शायद ही मुझे जयपुर में भी मिला होगा। 16 जून को हमने दिल्ली से गोरखपुर के लिए ट्रेन की टिकट लिया। हमारा अगला चैलेंज ये था की हम दिल्ली कैसे जाए???

विकल्प बहुत हो के भी एक भी नहीं था हमारे पास क्योंकि ट्रेन नहीं मिला हमें अलवर से दिल्ली तक, बस भी नहीं मिला। आखिरी में हमने कैब बुक किया 2500 में, टोल टैक्स 435 अलग से। ट्रैवलिंग करो और प्रॉब्लम ना आए ऐसा कभी हुआ हैं हमारे साथ 🙄 अकॉर्डिंग टू गवमेंट लॉ हम इस टाइम बिना परमिशन के किसी भी स्टेट में नहीं जा सकते। कैब वाले भाई ने हमारा परमिशन नहीं बनवाया उन्होंने बोला की टिकट ही हमारा परमिशन है 🙄। उन्होंने बोला चलो आप मैं मैनेज कर लूंगा उनकी बात मानने के सिवा हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था तो मैंने बोला हटाओ यार भोले बाबा का नाम लेते हैं और यात्रा आरंभ करते हैं वैसे भी बबुआ हम यूपी वाले हम किसी से नहीं डरते जो होगा देखा जायेगा। टशन में मैंने ये बोल तो दिया था पर दिमाग़ के ऊपर बादल बन गया था और उसमें माउंटेन ड्यू  का एड चल रहा था। कि बेटा डर सबको लगता है और गला भी सबका सूखता है।

लगभग एक बजे हम वहां से दिल्ली के लिए रवाना हुए। हाइवे के सफर मुझे वैसे भी बहुत लुभाते हैं शायद इस लिए भी क्योंकि मैं एक सिविल अभियंता हूं 😋। सड़क के व्यू बहुत ही शानदार थे बिल्कुल ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा वाले संगीत की तरह मुझे उस लोकेशन को देख कर वहीं संगीत याद आया और मैं खो सा गया उस वादियों में.....
उड़े, खुले आसमान में ख्वाबों के परिंदे
उड़े, दिल के जहां मैं ख़्वाबों के परिंदे  

अचानक से मैंने देखा कि एक पोलिस स्टेशन गुजरा जिस पर लिखा था पोलिस स्टेशन टपूकड़ा । मैंने तुरंत अपने कॉलेज के जिगरी यार को कॉल लगाया साले कहा है हरामखोर मैं तेरे एरिया में हूं आ जा मिलते हैं वो आया हम मिले काफी टाइम बाद। फिर मैंने उससे अलविदा लिया और बोला मिलते है फिर कभी । हरियाणा बॉर्डर आने वाला था मैं थोड़ा टेंशन में था वैसे भी क्या होने वाला है क्या हमें वापस अलवर तो नहीं जाना पड़ेगा।

हरियाणा बॉर्डर

मैं आपको बता दू जैसे की आप दिन रात टीवी में देखते रहते हो कि बॉर्डर सील कर दिया गया है बिना परमिशन के कोई नहीं आ सकता ये रूल वो रूल । ऐसा कुछ भी नहीं हैं सील तो बहुत दूर की बात हैं दोस्तों यहां एक पोलिस वाला तक हमको नहीं देखा। आप के स्टेट में कौन आ रहा है और कौन जा रहा है किसी को कोई फर्क नही पड़ता। ये देख के मैं काफ़ी निराश हुआ 165 किलोमीटर के सफर में मुझे एक पोलिस वाला नहीं देखा।

बॉर्डर क्रॉस करते ही एक होटल पर मैं रुका मन्नत । अलवर में महेश भाई और उनके सीनियर को इस होटल के बारे में बहुत बात करते सुना था सर्विस और फूड क्वॉलिटी बहुत अच्छी है इसकी और इस हाइवे पर सबसे फेमस होटल हैं ये फिर क्या था कोई भी फेमस चीज हम से बच जाएं ऐसा कभी हुआ हैं क्या तो हम भी आ गए होटल मन्नत यहां का एक्सपीरियंस लेने और जैसा लोग बोलते हैं इसके बारे में ये बिल्कुल वैसा ही है बहुत अच्छी सर्विस और फूड क्वॉलिटी तो बहुत ही अच्छा था। आप सब कभी भी इधर आओ तो जरूर जाना होटल मन्नत।

चार बजे हम दिल्ली पहुंच गए दिल्ली पहुंचते ही जो स्टेशन का हाल हमने देखा चलो आप खुद ही फोटो में देख लो और दिल्ली से गोरखपुर की यात्रा का वर्णन हम अपने नेक्स्ट ब्लॉग में करेगे ......

पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।

Comments

Post a Comment