COVID-19 Journey Part Two- Delhi to Gorakhpur

सलाम, नमस्ते, केम छो दोस्तो। कैरीमिनाती के अंदाज़ में पुछू तो"कैसे हो आप लोग 😆"? 

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दिल्ली स्टेशन🚇

दिल्ली आते ही हम डायरेक्ट स्टेशन गए प्लान कुछ ऐसा था की हम वेटिंग रूम में इंतजार करेगे अपनी ट्रेन का जो की 8:25pm पर आने वाली थी। पर जैसे ही हम ने स्टेशन पर एंट्री लिया हमारे होश उड़ गए, ऐसे दुर्लभ नज़ारे की हमने कल्पना भी नहीं की होगी शायद। ऐसे नज़ारे को देख के हम अचंभव चकित रह गए और हमारे पैरो तले जमीन निकल गई। जैसा कि मैं इतने दिन से सुन और देख रहा था ,कि स्टेशन पर एक पंक्ति में लोगों को अंदर ले जाते हैं ,थर्मल चेकिंग होता है ,ट्रेन में लोगों को एक पंक्ति में अन्दर जाने को मिलता है। ऐसा कुछ भी नहीं  हुआ भाइयों बस थर्मल चेकिंग के वक्त लोग एक पंक्ति में खड़े देखे मुझे और पता नहीं वो मशीन चल भी रहा था या नहीं या काम करने वाला बंदा सही से चेक नहीं कर रहा था ये तो भगवान ही जानता है। खैर जाने दिया जाए ये बात। शायद मैंने ही ज्यादा उम्मीद कर ली थी प्रशासन से।

किसी से मैं क्यों कोई शिकायत करू चोट खाने के बाद,
मैंने ही तो सरकार से कुछ ज्यादा ही उम्मीद पाल ली थी।

स्टेशन के अन्दर का हालात देख कर तो हमारे और भी पसीने निकल आए शायद 3 महीने बाद मैंने इतना भीड़ देखा होगा वैसे भीड़ देख के मुझे काफी खुशी हुई क्योंकि काफी समय बाद ऐसा अदभुत नज़ारा देखने को मिला था पर सुरक्षा के उद्देश्य से मुझे ये बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। 

फिर हमने सोचा भईया यहां रुकना अपने मौत को बुलावा देना हैं यहां से कट लो जल्दी से जल्दी। एक पोलिस वाले भाई से मैंने पूछा यहां तिजोरी कक्ष(लॉकर कक्ष) कहां है?? उसने बोला बंद हैं पर मेरा दिल नहीं माना फिर मैं आगे बढ़ा और मुझे लॉकर कक्ष मिल ही गया। मन में मुझे हमारे प्रधानमंत्री जी का एक डायलॉग याद आ गया कि क्या तकलीफ हैं इस सजन को हम से। अब मैं क्या ही बोलु उस पोलिस को जब मेरा ही टाइम ख़राब चल रहा है। 150 में मैंने अपना सारा सामान रखा और बाहर की ओर चला आया।

कनॉट प्लेस🏫

गूगल बाबा से जानकारी ली तो पता चला की पास में ही कनॉट प्लेस हैं तो फिर क्या था। हम अग्रसर हो गए कनॉट प्लेस के ओर।

कनॉट प्लेस (आधिकारिक रूप से राजीव चौक) दिल्ली का सबसे बड़ा व्यवसायिक एवं व्यापारिक केन्द्र है। इसका नाम ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्य ड्यूक ऑफ कनॉट के नाम पर रखा गया था। इस मार्केट का डिजाइन डब्यू एच निकोल और टॉर रसेल ने बनाया था। यह मार्केट अपने समय की भारत की सबसे बड़ी मार्केट थी। अपनी स्थापना के 65 वर्षों बाद भी यह दिल्ली में खरीदारी का प्रमुख केंद्र है। यहां के इनर सर्किल में लगभग सभी अंतर्राष्ट्रीय ब्रैंड के कपड़ों के शोरूम, रेस्त्रां और बार हैं। यहां किताबों की दुकानें भी हैं।

ज्यादातर दुकानें बंद थीं कोविड-19 की वजह से पर यहां प्रशासन बहुत ही अच्छा था। एक लड़की जो की ना मार्क्स लगाई थी और पूरे मार्केट में ऐसे ही घूम रही थीं और टिक टाक बना रही थीं अपने दोस्तो के संग पोलिस ने उसका चालान काट दिया मुझे काफी बुरा लगा क्योंकि लड़की काफी खूबसूरत थीं और काफ़ी माफ़ी भी मागी उसने पोलिस से शायद मैं होता तो माफ़ कर देता पर पोलिस ने नहीं किया। इतनी माफ़ी पर मेरा दिल पिघल जाता पर पोलिस वालो का नहीं पिघला। पोलिस वाले होते ही हैं सकत लौंडे शायद इसलिए पोलिस का लाइन मैंने नहीं चुना क्योंकि हम सकत लौंडे नहीं हैं।  यहां का प्रशासन बहुत ही अच्छा था। मैंने बहुत लोगो के चालान काटते देखा पोलिस को यहां।

कोविड स्पेशल ट्रेन लव स्टोरी 💞

गोरखधाम कोविड स्पेशल ट्रेन अपने टाइम पर आई बिल्कुल। एक आंटी के कम से कम 16 बैग थे वो इतने देर से सामान अन्दर ले रहीं थीं की हम गुस्सा हो के आगे वाले दरवाज़ा से प्रवेश ले लिया। 

अन्दर अपने सीट पर आते ही मैंने देखा ऊपर से नीचे हरे लीवास में एक लड़की जो कि मेरे सीट पर बैठी है।वो वहां बैठे फोन चला रही थीं । उससे वहा देख कर एसी बोगी में भी हवा का झोंका मेरी तरफ आने लगा और संगीत बजाना शुरू हो गया।वो हरे लिवास में बिल्कुल तोता लग रहीं थीं 😍। उसे देख के ऐसा लगा सफर तो अब शुरू हुआ हैं जनाब। फिर उसने एक ऐसी हरकत की जिसका कारण क्या था मुझे समझ नहीं आया बिल्कुल । पहले तो वो फोन पर व्हाट्सअप पर चैटिंग कर रही थीं फिर उसने लैपटॉप खोल के चैटिंग।  शुरू कर दी फोन भी चार्ज था उसका ये मैटर क्या था  मुझे समझ ही नहीं आया की उसने लैपटॉप क्यों निकाला 🤔। फिर मैंने बोला लड़कियों को तो खुद परमात्मा नहीं समझ पाते मैं तो फिर भी एक इंसान हूं। मैंने कहा हटाओ यार उस पे फोकस करते हैं बस उसकी हरकत को गोली मारो 😋। 

थोड़े देर बाद वो मेरी तरफ आई और बोली 

गर्ल- बीच वाली सीट मेरी हैं।

मैं- मन में मैंने भी बोला सब तुम्हारा ही हैं जहां मन करे रहो 🤗

गर्ल- मुझे नींद आ रहीं हैं क्या आप सीट लगा दोगे?

मैं- मन तो कर रहा था मना कर दू कि आओ थोड़े देर बाते करते हैं पर मैं बोला बिल्कुल क्यों नहीं एक मिनट रुको बस आप।

 बस दो मिनट की बात हुए और ये सोचते सोचते कब सुबह हुए पता भी नहीं चला और हम गोरखपुर पहुंच गए। घर पर ली गई मेरी पहली तस्वीर 👇

पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।

Comments

  1. Bhaiya, bhabhi ji se kab milwa rahe h.....
    Agali baar aunga to bhabhi ji ke sath hi chay-samose ka anand lunga

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  2. उस कन्या को खोजिए भैया। 😁😁😁

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  3. Bhai is Pandemic me Clock room me bag jama kr k koun ghumta h?? Waaaaaahhhhh.....
    But otherwise good blog.........!

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    1. 3 bag le kr bahar toh nahi ja skta na Bhaisahab

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  4. Hare libaas mein ladki...😂 Nice blog.. Keep entertaining us... 👍

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  5. Funny blog bhai padh k hasi aa gyi...

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