First solo Trip- Maghar part one

सलाम, नमस्ते, केम छो दोस्तो। सबसे पहले मैं आप लोगों को अपने तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि आपने मेरे ब्लॉग को इतना पसंद किया और पांच हजार लोगो ने इसे पढ़ा। पांच हजार व्यूअर्स होने की खुशी में मैंने सोचा आप सब का धन्यवाद कुछ स्पेशल अंदाज़ में किया जाए तो मैंने अपनी ज़िन्दगी का पहला एकल यात्रा (सोलो ट्रिप) किया ताकि आपको एक अच्छे अंदाज़ में शुक्रिया कहूं और एक शानदार ब्लॉग दू आपको पढ़ने के लिए।

मैं अपने दिमाग पर जोर दे ही रहा था कि अचानक से मुझे मगहर का ख्याल आया। मगहर से अच्छा तो कोई जगह हो ही नहीं सकता। क्योंकि जितनी रहस्यमय, ज्ञानपूर्ण और प्रेरणादयक जगह हैं ये दूसरी कोई हो ही नहीं सकती। तो फिर क्या था गूगल बाबा से जानकारी ली और निकल पड़ा अपनी धननो को ले कर मगहर की ओर।

कबीर के कदमों की ओर

गूगल बाबा से पूछा तो पता चला की यहां से 31 किलोमीटर है मगहर । फिर मैं सुबह सुबह निकला मौसम भी सुहाना था और हल्की फुल्की बारिश भी हो रही थी। तो मैंने भी रे कबीरा मान जा गाना लगाया और निकल पड़ा अपने यात्रा पर। चलो        जब तक मगहर नहीं पहुंच जाता तब तक मैं वहां के बारे में आपको कुछ बताता हूं कि मैंने इस जगह को रहस्यमय, ज्ञानपूर्ण और प्रेरणादयक क्यों कहा।

कबीर साहेब जी कौन थे?

कबीर जी को लेकर कई दंत कथाएं प्रचलित हैं। उनको 15वीं शताब्दी में महान संत तथा कवि के रूप में जाना जाता था। वह बहुत पढ़े-लिखे नहीं थे परंतु उनको वेदों का पूर्ण ज्ञान था। उन्होंने जातिवाद का पुऱजोर से खंडन किया।

कबीर साहेब का प्राकट्य

कबीर जी का जन्म सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास सुदी पूर्णमासी को ब्रह्ममूहूर्त (सूर्योदय से लगभग डेढ़ घण्टा पहले) में काशी में हुआ। परंतु कबीर साहेब ने मां के गर्भ से जन्म नहीं लिया अपितु अपने निजधाम सतलोक से सशरीर आकर बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए। इस दिन को कबीर साहेब के जन्म दिवस के उपलक्ष में कबीर पंथी हर साल जून के महीने में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।


मगहर स्थान का कबीर जी से क्या संबंध है?

कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं जो हर युग में आते रहे हैं जिसकी गवाही हमारे धर्म ग्रंथ भी देते हैं। उनका मगहर से गहरा नाता है। उन्होंने समाज में व्याप्त अन्धविश्वास, पाखण्ड, मूर्ति पूजा, छुआछुत तथा हिंसा का विरोध किया। साथ ही हिन्दू -मुस्लिम में भेदभाव का पुरजो़र खंडन किया। इसी तरह इस अन्धविश्वास को मिटाने के लिए कि आखिरी समय में मगहर  में प्राण त्यागने वाला नरक जाएगा, अपने अंत समय में काशी से चलकर मगहर आए। जिसके बाद सबकी धारणा बदल गई।

कबीर जी काशी से मगहर कब और क्यों गए?

कबीर साहिब जी ताउम्र काशी में रहे। परंतु 120 वर्ष की आयु में काशी से अपने अनुयायियों के साथ मगहर के लिए चल पड़े। 120 वर्ष के होते हुए भी उन्होंने 3 दिन में काशी से मगहर का सफर तय कर लिया। उन दिनों काशी के कर्मकांड़ी पंडितों ने यह धारणा फैला रखी थी कि जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा और जो काशी में मरेगा वह सीधा स्वर्ग जाएगा।इस गलत धारणा को कबीर परमेश्वर लोगों के दिमाग से निकालना चाहते थे। वह लोगों को बताना चाहते थे कि धरती के भरोसे ना रहें क्योंकि मथुरा में रहने से भी कृष्ण जी की मुक्ति नहीं हुई। उसी धरती पर कंस जैसे राजा भी डावांडोल रहे।

मुक्ति खेत मथुरा पूरी और किन्हा कृष्ण कलोल,
और कंस केस चानौर से वहां फिरते डावांडोल।

इसी प्रकार हर किसी को अपने कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक मिलता है चाहे वह कहीं भी रहे। अच्छे कर्म करने वाला स्वर्ग प्राप्त करता है और बुरे, नीच काम करने वाला नरक भोगता है, चाहे वह कहीं भी प्राण त्यागे, वह दुर्गति को ही प्राप्त होगा।

कबीर साहेब जी के शरीर की जगह मिले थे फूल

 अपनी आखिरी समय में परमेश्वर चादर पर लेट गए। दूसरी चादर ऊपर ओढ़ी और सन 1518 में परमेश्वर कबीर साहिब सशरीर सतलोक गमन कर गए। थोड़ी देर बाद आकाशवाणी हुई “उठा लो पर्दा, इसमें नहीं है मुर्दा”।

वैसा ही हुआ कबीर परमात्मा का शरीर नहीं बल्कि वहां सुगन्धित फूल मिले,  दोनों धर्मों के लोग आपस में गले लग कर खूब रोए। परमात्मा कबीर जी ने इस लीला से हिंदू-मुस्लिम मुस्लिम दोनों धर्मों का वैरभाव समाप्त किया । मगहर  में आज भी हिंदू मुस्लिम धर्म के लोग प्रेम से रहते हैं।

इस पर परमात्मा कबीर जी ने अपनी वाणी में भी लिखा है:-

सत्त् कबीर नहीं नर देही, 
जारै जरत ना गाड़े गड़ही।
पठयो दूत पुनि जहाँ पठाना, 
सुनिके खान अचंभौ माना।
दोई दल आई सलाहा अजबही,
बने गुरु नहीं भेंटे तबही।
दोनों देख तबै पछतावा,
ऐसे गुरु चिन्ह नहीं पावा।
दोऊ दीन कीन्ह बड़ शोगा, 
चकित भए सबै पुनि लोंगा।

अरे अरे भाई कहानी में इतना क्यों खो गए अभी तो कहानी को अपने आखो से भी तो बताना है की सच्चाई क्या हैं जैसा हम सुनते आए हैं वैसा या फिर कुछ और इसके बारे में मैं नेक्स्ट ब्लॉग में बताऊंगा आपको।


To be continued.....


पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।

Comments

  1. उत्तर प्रदेश सरकार को मगहर पर ध्यान देना चाहिए।
    मगहर बहुत उपेक्षित है।
    ♥️♥️♥️👍👍👍

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  2. Bahut hi Adbhud story h hmare Kabir Das ji ki......🙏
    Nice blog........👌

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  3. Solo trip me apna pic khichane wala hi koi ni hota

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