First Solo Trip-Maghar part two
सलाम, नमस्ते, केम छो दोस्तो। इस ब्लॉग का प्रथम पार्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
"We plan our journey but fact is that journey plan think's for us"
क्योंकि सुबह 6 बजे उठ के सोलो ट्रिप पर आना मेरा प्लान नहीं था, मेरे घर में काष्ठकला का काम चल रहा है फिर अचानक से मेरा मगहर जाना प्लान नहीं था, वहा 1 घंटा सोच के 4 -5 घंटा रुकना प्लान नहीं था किसी ने सही कहा हैं हम जर्नी प्लान नहीं करते जर्नी हमें प्लान करती हैं।
सोलो ट्रैवलिंग सुनने में कितना कूल लगता हैं ना 😎आप और आपके साथ रिवर,हिल, हाईवेज, ट्रीस, टेंपल, वादिया उफ्फ........ सो एक्साइटिंग 😍 पर मैंने एक चीज जाना आप सोलो ट्रिप पर कभी भी सोलो ट्रैवल नहीं करते🥴। मैं यहां दो अजनबियों से मिला उनका फर्स्ट टाइम विजिट था मगहर में तो फिर क्या था हम तीनो ने साथ मगहर का दर्शन किया। पूरे ट्रिप पर उन्होंने मुझे अकेले रहने का मौका ही नहीं दिया 😟 उन्हें मगहर के बारे में जादा कुछ नहीं पता था तो मुझे वाह हीरो बनने का पूरा मौका मिला ऐसा मुझे लगा अटलस्ट की मैं हीरो हूं ये भी जानता हूं वो भी जानता हूं पर एक्चुली में मैं एक ट्रैवल गाइड का काम कर रहा था 🙄 उनके लिए वो भी फ्री ऑफ कॉस्ट पर जो भी हो मज़ा आया उनके साथ🤗।
मगहर का इतिहास के बारे में हमने पहले पार्ट में डिस्कस किया था पर जैसे ही मैं वहा पहुंचा कुछ दूर से देखा तो वहा का नज़ारा ही कुछ और था हर तरफ पानी ही पानी भरा हुआ था और मगहर पूरा ही टूटा पड़ा था। मैंने सोचा मैं गलत पते पर तो नहीं ना आ गया 😟
फिर मैं थोड़ा पास गया तो मुझे समझ आया पूरा मैटर। पता तो सही था बस बारिश के वजह से वहा का वॉटर लेवल बढ़ गया हैं और उस जगह का सुंदरीकरण का काम चल रहा है। इसलिए सब कुछ टूटा हुआ था। मैं अन्दर गया मैं आपको बता दू, अन्दर इतना पॉजिटिविटी थी और वहा के लोग पूरे संगीत के साथ कबीर दोहा गा रहे थे और भी बहुत कुछ गा रहे थे। वहा का दृश्य बिल्कुल किसी हिन्दी फ़िल्म की तरह था मुझे लगा कोई शूटिंग चल रही है मुझे ये नज़ारा देख के बजरंगी भाई जान का वो गाने का दृश्य याद आ गया "भर दो झोली मेरी......."🤭। बहुत ही अदभुत दृश्य था वो मेरे लिए।
जिज्ञासा अपने पूरे उफान पर था मुझे और भी चीज देखने और जाने की इच्छा हुई मैं आस पास सब जगह घूमने लगा। सबसे पहले मैं अन्दर पूरी तरह घुमा फिर वहा से निकल के मैं घाट की तरफ गया और वहा घंटो बैठा मौसम बहुत शानदार था ऐसा ही बिल्कुल नज़ारा मैंने एक बार हरिद्वार के घाट पर देखा था☺️। आप भी फोटो की सहायता से नज़ारा लो वहा का और हमारी फोटोग्राफी का थोड़ा सा नमूना देखो और बताओ की हमारी फोटोग्राफी कैसी है????.......
मेरी सोच
जैसी ये जगह हैं गवर्मेंट को इस पर ध्यान देने की बहुत ही आवश्कता हैं क्यों कि टूरिस्ट प्लेस के दृष्टि से ये बहुत ही उत्तम जगह हैं यहां हिन्दू मुस्लिम नहीं देखा जाता सभी बहुत खुशी खुशी यहां आते हैं इनफैक्ट ये इकलौता ऐसा जगह हैं भारत में जहां हिन्दू और मुसलमान दोनों भाई बहुत खुशी खुशी आते हैं तो सरकार को इस जगह पर ध्यान देने की बहुत आवश्कता हैं। क्योंकि ये इस एरिया का टूरिस्ट हब हो सकता है।
जाते जाते कबीर जी की एक बात मुुुुझे याद आ रह है जो मैंने बचपन में पढ़ा था वो शेयर करता हूं आप से....
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
अर्थ: बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके। कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा।
वहा ये बोर्ड लगा था क्यों कि वहा पर सुंदरीकरण का कुछ काम चल रहा है तो जो भी आप हेल्प कर सको या जो कर सकता है उस तक ये बात पहुंचा दो तो काफी मदद हो सकती हैं वहा के लोगों की और सरकार की भी।
पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।
Suprb
ReplyDeleteThanks
ReplyDelete