घुमक्कड़ों के लिए खुशखबरी! मनाली-लेह को जोड़ने वाली दुनिया की सबसे लंबी सुरंग बनकर तैयार है।
सलाम नमस्ते केम छू दोस्तों 🙏
हर घुमक्कड़ की हसरत होती है कि वो लेह की सैर पर जाए। लेह जहाँ खूबसूरती का अथाह संसार है, जहाँ के सुरम्य पहाड़ों के बीच बनी मोनेस्ट्रीज शांति और सुकून का एहसास देती हैं। जहाँ की हवा साँसों में घुलती हुई लगती है। ये जगह इतनी प्यारी है कि हर किसी का मन मोह लेती है। जो इस जगह के बारे में सुनता है वो यहाँ जरूर जाना चाहता है। वैसे तो लेह बंजर है फिर भी इस बंजर भूमि को लोग पसंद करते हैं। यहाँ के पहाड़ों पर लहराते बौद्ध झंडे, बौद्ध भिक्षु, यहाँ के गाँव, प्राचीन झीलें और ग्लेशियर इस जगह को सबसे अलग बनाते हैं। इस जगह पर बरसों से तिब्बती कल्चर, भोजन और जीवनशैली चली आ रही है, हम एक पुरानी संस्कृति को आज भी इस जगह पर देख सकते हैं। इन सारी खूबसूरती को एक जगह देखने के लिए हम और आप लेह जाते हैं।
यदि आप भी मेरे तरह ही हैं जिन्होंने अभी तक लेह की यात्रा नहीं की है और अब आप इस जगह पर दो या तीन या अनगिनत बार जाना चाहते हैं तो आपके लिए एक खुशखबरी है आपके इस सफर को बेहद खूबसूरत और आसान बना देगी।
तो अच्छी खबर ये है कि अब आप मनाली से लेह बहुत कम समय में पहुँच सकेंगे। इसकी वजह है कि अटल टनल। दुनिया की सबसे लंबी सुरंग अटल टनल बनकर तैयार हो गई है। इस सुरंग के बनने से मनाली-लेह की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी। इससे अब मनाली से लेह जितना समय लगता था अब उसमें 4 घंटे की कमी आएगी। मैं मजाक नहीं कर रही हूँ यकीन मानिए ये अटल आपके लेह के सफर को आसान बना देगी। दुनिया की सबसे लंबी सुरंग 10,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। ये सुरंग किसी अजूबे से कम नहीं है, इंजीनियरिंग का बेहद खास नमूना है ये सुरंग। आपको बता दें कि इस सुरंग को बनने में लगभग 10 साल लगे और इसमें 400 करोड़ रुपए का खर्च आया।
इस अद्भुत सुरंग के बनने से घुमक्कड़ों को लेह जाने का आसान रास्ता मिल गया। अब वे चार घंटे बचाकर कुछ ज्यादा देर लेह की गलियों और पहाड़ों में बिता सकते हैं। अगर आपको इस टनल के बारे में पता नहीं है तो हम इसकी कुछ विशेषताएँ बता देते हैं।
चौड़ाईः 10.5 मीटर
क्लीयरेंसः 5.25 मीटर
लंबाईः 8.8 किमी
अटल सुरंग लेह और मनाली के बीच की दूरी को 46 किलोमीटर कम करती है। इसके अलावा 9.02 किमी. लंबी ये सुरंग पीर पंजाल रेंज के लिए भी बेहद अहम है। इस टनल को बनाने के लिए रोवा फ्लायर टेक्नोलाॅजी का इस्तेमाल किया है। ये टनल हमारे देश की सुरक्षा के लिए भी बेहद अहम है। बारिश के मौसम में मनाली से लेह पहुँचना कठिन होता है। अब भारतीय सेना इस सुरंग से किसी भी मौसम में मनाली से लेह बड़े आराम से पहुँच सकती है। समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊँचाई पर बने इस टनल में वो सारी खूबियाँ मौजूद हैं जो आज और आने वाले समय के लिए जरूरी हैं।
टनल में हर आधे किलोमीटर पर जहाँ इमरजेंसी टनल बनाई गई है वहीं सुरक्षा के लिहाज से दोनों ओर कंट्रोल रूम भी बनाया गए हैं। इसके अलावा टनल में हर 150 मीटर पर 4जी फोन की सुविधा तो हर 60 मीटर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। अटल टनल के अंदर फायर हाइड्रेंट भी लगाए गए हैं। जिससे किसी भी प्रकार की अनहोनी को टाला जा सके। इस सुरंग का अपना एक इतिहास है। इस प्रोजेक्ट ने एक लंबा सफर तय किया है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पहली बार 1983 में ऐसी ही एक सुरंग की कल्पना की थी। जिसे 2005 में मंजूर किया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2010 में इस सुरंग का पहला पत्थर रखा था। अब इस सुरंग का नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर अटल टनल रखा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही इस टनल का उद्घाटन करेंगे।
क्या ये पहाड़, नेचर लवर, घुमक्कड़ और बैकपैकर के लिए एक रोमांचक खबर नहीं है? एक बार जब सब कुछ ठीक हो जाएगा और माहौल सही हो जाएगा तो लेह जाने के लिए आप इस टनल का इस्तेमाल कर सकते हैं। जब आप पहली बार टनल से गुजरेंगे तो वो आपके लिए मजेदार होगा।
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