Chasing the footprints of Bhagwan Rama : Chitrakoot part one
सलाम, नमस्ते, केम छू दोस्तो। कैरीमिनाती के अंदाज़ में पुछू तो"कैसे हो आप लोग 😆"? आज का ब्लॉग मेरा हिंदी में लिखने का दो कारण हैं। पहला तो ये ब्लॉग भगवान श्री राम के बारे में हैं और दूसरा हमारे यूपी के बंधुओ (स्पेशली दिनेश जी) के लिए जो की मुझे बोल रहे थे एक बार हिन्दी में भी लिखो। एक इंजीनियर की हिन्दी इतनी भी बेकार नहीं होती हैं यारो।🤭 और ये चैलेंज मैं अपने ब्लॉगर भाई अनुपम को भी देता हूं की वो अपना नेक्स्ट ब्लॉग हिंदी में लिखें।😊
एक कथा प्रसंग में सुना कि प्रभु श्रीरामचन्द्र जी ने
वनवास क़ाल के 14 वर्ष में से 12 वर्ष चित्रकूट में बिताए थे। फिर क्या घुमक्कड़ जिज्ञासा जगने लगी सोचा की क्यों न चित्रकूट धाम की यात्रा की जाए। बस फिर क्या था फोन में गूगल बाबा से जानकारी लेने लगे। रात होते होते यात्रा का विचार अपना साकार रूप लेने लगा। बगल में बैठे हमारे ब्लॉगर भाई अनुपम से ये विचार साझा किया तो उन्होंने बोला चलते हैं फिर क्या था हमने अपने जिगर के टुकड़े लाले को कॉल किया और बोला कल इलाहाबाद आ जा चित्रकूट चलते हैं। हम चार दोस्त निकल पड़े श्री राम का नाम ले कर चित्रकूट।
रास्ते में जाते- जाते अचानक से हमने विंध्याचल जाने का प्लान किया और इलाहाबाद से बस लिया विंध्याचल के लिए।
विन्ध्याचल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का एक धार्मिक दृष्टिकोण से प्रसिद्ध शहर है। वहीं कालीन भाई, गुड्डू भईया वाला मिर्जापुर🤭। यहाँ माँ विंध्यचल देवी का मंदिर है। माँ विन्ध्यवासिनी ने भाएसासुर का वध करने के लिए अवतार लिया था। यह नगर गंगा के किनारे स्थित है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जो मनुष्य इस स्थान पर तप करता है, उसे अवश्य सिद्दि प्राप्त होती है। भारतीय मानक समय (IST) की रेखा विन्ध्याचल के रेलवे स्टेशन से होकर जाती है।ये तो इसका भौगौलिक मामला हुआ अब आते अपने यात्रा पर।
सबसे पहले हमने पका घाट पर पवित्र स्नान किया, जो कि हमारे लिए काफी जरूरी भी था क्योंकि पाप ही इतना करते हैं हम। हम चारों को ही तैरने नहीं आता पर हमारे में एक मनुष्य ऐसा था जो की 6 फीट का था और उसे अपनी जान की इतनी चिंता है की वह घुटने से ऊपर पानी नहीं आने देता वो हैं हमारे मित्र अमित यादव पता नहीं उसे उच्चाई, गहराई ,पानी ,पहाड़ सबसे इतना डर क्यों लगता है ?उसे देख के मेरे अंदर से एक ही आवाज़ आता है "कैसा बंदा हैं ये" 🙄आधी एडवेंचर चीज हम उसकी वजह से भी नहीं कर पाते ट्रिप पर। लगभग 1 घंटा स्नान करने के बाद हमने दर्शन किया।
फिर हमने मिर्जापुर से ट्रेन लिया चित्रकूट के लिए। ट्रेन लेने तक का सफर इतना टेंशन भरा था की मत पूछो मित्रों । फिल्म में जैसे क्लाइमैक्स आता है वैसे ट्रेन हमारे ट्रिप का क्लाइमैक्स सीन था।ट्रेन आने में कुछ 1 मिनट बचा होगा उतने में हमारे लाले (अमित यादव) को टॉयलेट लग गया मतलब हमें एक बात नहीं समझ आता की लोग इतना लाते कहां से हमारा तो नहीं आता इतना 🙄हम लोग ने उसको बोला मर्दवा ट्रेन में कर लिहा तो उसने बोला नहीं निकल जायेगा, हम बोले मरदवा ई काऊनो बस थोड़ी ही ना हैं जो निकल जायेगा कंट्रोल करा, पर ऊ नहीं माना। 😠 फिर वो गया कर के तुरन्त ट्रेन की ओर भागा ,हम भी भागे । भागते भागते मेरे दिमाग़ में एक बात आ रही थीं 🤔ई सलावा किया क्या होगा इतनी से देर में इतना टाइम तो मूड बनाने में ही निकल जाता हैं ।ई सालावा क्या निकाला🙄 होगा और क्या छोड़ा होगा 🙄?
जैसे ही हम अपने सीट पर पहुंचे हमने देखा की कुछ लोग सोएं हुए हैं हमारी सीट पर। तो फिर क्या था मेरे अंदर का भी यूपी का भौकाल लड़का जग गया मैं भी बहुत टशन😎 में आगे बढ़ा और उस सीट के बन्दे से आरुगमेंट करने लगा, वाद -विवाद का सिलसिला चल ही रहा था कि एक दम से पीछे से आवाज़ आई भाई रिजर्वेशन कल का था अपना 🙄।फिर क्या था जो अंदर से यूपी का लड़का तेज़ी से आया था मैंने उसे उतनी ही तेज़ी से अंदर भेजा और सॉरी बोल के निकल लिया वहां से। 12 बजे दूसरा दिन शुरू हो जाता है इतनी छोटी सी बात को ध्यान नहीं दिया हमारे काबिल मित्र ने रिजर्वेशन करते वक्त ,फिर मैंने अनुपम को कॉल किया पूछा सीट बा उधर, इधर एक कांड हो गई मर्दावा तो उसने बोला भईया ईधर आ जाओ यहां सीट हैं ट्रेन स्टार्ट होने में कुछ ही सेकंड बचा होगा हमें फ़ैसला जल्दी लेना था हम तीनो उतरे और अनुपम के बोगी के तरफ दौरे।🏃 प्लान कुछ ऐसा था की एक बंदा आगे रहेगा और पीछे लाइट देखता हुआ आगे तरफ भागेगा पर ऊ बोलते हैं ना इंसान की फटती हैं तो वो आगे पीछे कुछ नहीं देखता ये बात मैंने बचपन में सुना था पर उस दिन देखा हमारे एक मित्र ऐसे भागे हमें छोड़ के जैसे हमें जानते ही नहीं है। अंधेरा इतना था की कुछ दिख नहीं रहा था ऊपर से नीचे पत्थर😔 ,भागा ही नहीं जा रहा था जैसे तैसे हम अनुपम के पास पहुंचे उसके बाद जो गाली देने का सिलसिला चालू किया हमने उस बन्दे को मत पूछो 10 मिनट में उसने इतना कांड किया की किसी ने उम्मीद नहीं की थी ।उसने 10 मिनट में हमारे आराम दायक ट्रिप को बेयर ग्रिल्स का ट्रिप बना दिया।
फिल्म में जैसे क्लाइमैक्स आता है 10 मिनट के लिए ऊ ससुरा वैसे आया था कांड हमारे ट्रिप में। क्लाइमैक्स के बाद जैसे मूवी खतम होती हैं वैसे हमारी विंध्याचल की यात्रा खतम हुई । और सुबह हम चित्रकूट पहुंच गए।
नेक्स्ट ब्लॉग में चित्रकूट दर्शन के बारे में पढ़े......
पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।
Shandaar, jabardast......Zindabad...!
ReplyDeleteChitrakoot k blog ka intezar rhega.......!
Bikul process me hu jld hi publish hoga
DeleteMera next 2 blog hindi me hi hai
ReplyDelete😁😁😁
Jarur dost
DeleteSuperb 👌👌👌brother
ReplyDeleteThanxs dost
DeleteThanxs
ReplyDeleteAwesome ....
ReplyDeleteThanks
DeleteWonderful bahut accha likha h dost...👌👌 Vaise m Abhishek allahabad wala 😜👌😅
ReplyDeleteThanxs dost
DeleteNice
ReplyDeleteSuprb
ReplyDeleteThank u
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteBest blog ever
ReplyDeleteThank u di
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